आज की डिजिटल दुनिया में कंप्यूटर और लैपटॉप हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। चाहे ऑफिस का काम हो, ऑनलाइन क्लासेज़ हों, बिज़नेस हो या मनोरंजन – हर जगह कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है। लेकिन कंप्यूटर तभी काम करता है जब उसमें ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System – OS) मौजूद हो। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़कर हमें काम करने की सुविधा देता है।
दुनिया में कई ऑपरेटिंग सिस्टम उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से दो सबसे ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय हैं – Windows और Linux। ये दोनों ही अपनी-अपनी जगह पर बेहद खास हैं। Windows को Microsoft ने बनाया है और यह एक पेड ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे चलाना बेहद आसान होता है। वहीं दूसरी ओर Linux एक ओपन-सोर्स और फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे टेक्निकल लोग और प्रोग्रामर्स ज़्यादा पसंद करते हैं।
Windows और Linux क्या है?
किसी भी कंप्यूटर या लैपटॉप को चलाने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की जरूरत होती है। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो हमारे कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को कंट्रोल करता है और हमें एक आसान इंटरफेस (Interface) प्रदान करता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय दो ऑपरेटिंग सिस्टम हैं – Windows और Linux।
Windows – यह Microsoft द्वारा विकसित किया गया एक Commercial Operating System है, जिसे पहली बार 1985 में लॉन्च किया गया था। Windows को इस्तेमाल करना आसान है, इसलिए इसे Beginner से लेकर Professional तक हर कोई चला सकता है। इसमें हमें ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (GUI), ढेरों एप्लिकेशन सपोर्ट और गेमिंग की बेहतरीन परफॉर्मेंस मिलती है।
Linux – Linux एक Open Source Operating System है, यानी इसे कोई भी फ्री में इस्तेमाल और मॉडिफाई कर सकता है। इसे 1991 में Linus Torvalds ने बनाया था। यह अपनी Security, Speed और Customization की वजह से जाना जाता है। Linux ज्यादातर Servers, Programming, Cyber Security और Developers द्वारा पसंद किया जाता है।
Windows और Linux के प्रकार (Versions/Distributions)
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Windows 7: सबसे लोकप्रिय वर्ज़न, यूज़र-फ्रेंडली और स्थिर।
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Windows 8: टच स्क्रीन सपोर्ट के साथ नया GUI लाया।
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Windows 10: आधुनिक फीचर्स, सुरक्षा अपडेट और गेमिंग सपोर्ट।
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Windows 11: लेटेस्ट वर्ज़न, आकर्षक इंटरफेस और क्लाउड इंटीग्रेशन।
ये सभी वर्ज़न्स मुख्य रूप से Beginner और ऑफिस यूज़र्स के लिए बनाए गए हैं। Windows का फायदा यह है कि लगभग हर प्रकार के सॉफ्टवेयर और गेम्स इन वर्ज़न्स पर काम करते हैं।
दूसरी तरफ, Linux के कई डिस्ट्रिब्यूशन्स हैं, जिन्हें “Distros” कहा जाता है। प्रमुख Linux डिस्ट्रिब्यूशन्स:
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Ubuntu: सबसे लोकप्रिय और यूज़र-फ्रेंडली, Beginners के लिए बेस्ट।
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Fedora: लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और डेवलपर्स के लिए।
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Debian: स्टेबल और सर्वर फ्रेंडली।
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Kali Linux: साइबर सिक्योरिटी और पेंटेस्टिंग के लिए।
Linux डिस्ट्रिब्यूशन्स टेक्निकल यूज़र्स के लिए कस्टमाइजेशन, सिक्योरिटी और सर्वर मैनेजमेंट में बेहतरीन हैं।
📊 Windows और Linux में अंतर
विशेषता (Aspect) | Windows | Linux |
---|---|---|
कीमत (Cost) | पेड (License खरीदना पड़ता है) | फ्री और ओपन-सोर्स |
डेवलपर | Microsoft | Linus Torvalds और Community |
यूज़र फ्रेंडली | बहुत आसान, Beginners के लिए बेस्ट | थोड़ा टेक्निकल, कमांड सीखनी पड़ती है |
सिक्योरिटी (Security) | वायरस और Malware का खतरा ज्यादा | बहुत सिक्योर, हैक करना मुश्किल |
सॉफ्टवेयर सपोर्ट | लगभग सभी सॉफ्टवेयर और गेम्स सपोर्ट करते हैं | कुछ खास और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर ज्यादा चलते हैं |
कस्टमाइजेशन | बहुत लिमिटेड | बहुत ज्यादा कस्टमाइजेशन संभव |
स्पीड और परफॉर्मेंस | हैवी सिस्टम पर अच्छा चलता है | लो-स्पेक्स (पुराने) सिस्टम पर भी स्मूद चलता है |
अपडेट्स (Updates) | ऑटोमैटिक, कभी-कभी स्लो कर देता है | यूज़र कंट्रोल में, तेज़ और फ्रिक्वेंट |
टारगेट यूजर्स | कॉमन यूजर्स, स्टूडेंट्स, गेमर्स, ऑफिस वर्क | डेवलपर्स, हैकर्स, सर्वर और टेक्निकल लोग |
Windows और Linux का इतिहास (History)
कंप्यूटर के इतिहास में Windows और Linux ने अपनी अलग पहचान बनाई है। Windows का विकास Microsoft द्वारा किया गया था और इसे पहली बार 1985 में लॉन्च किया गया। शुरुआत में यह एक ग्राफिकल इंटरफेस (GUI) वाला सॉफ्टवेयर था जो MS-DOS के ऊपर चलता था। धीरे-धीरे Windows ने अपने वर्ज़न्स जैसे Windows 95, 98, XP, 7, 8, 10 और Windows 11 में सुधार किया और यूज़र फ्रेंडली इंटरफेस के साथ ऑफिस, गेमिंग और बिज़नेस यूज़र्स के बीच लोकप्रिय हो गया। Windows की सफलता की वजह इसका आसान GUI, व्यापक सॉफ्टवेयर सपोर्ट और कॉर्पोरेट सेक्टर में अपनापन रहा।
दूसरी तरफ, Linux का इतिहास 1991 में शुरू हुआ। इसे Linus Torvalds ने बनाया था। Linux एक Open Source Operating System है, यानी इसे कोई भी फ्री में इस्तेमाल और मॉडिफाई कर सकता है। Linux के शुरुआती वर्ज़न्स कमर्शियल नहीं थे और मुख्य रूप से टेक्निकल यूज़र्स, डेवलपर्स और सर्वर एडमिन्स के लिए बनाए गए थे। धीरे-धीरे Ubuntu, Fedora, Debian जैसे डिस्ट्रिब्यूशन आए, जिन्होंने Linux को ज्यादा यूज़र-फ्रेंडली और सिक्योर बनाया।
Windows और Linux: कौन सा यूज़र के लिए सही है?
जब बात आती है Windows और Linux चुनने की, तो यह तय करना जरूरी है कि आप कौन सा यूज़र हैं और आपकी ज़रूरतें क्या हैं।
1. Beginners और सामान्य यूज़र्स
अगर आप कंप्यूटर के नए यूज़र हैं या रोज़मर्रा के काम के लिए कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं, तो Windows सबसे उपयुक्त है। इसका इंटरफेस आसान और ग्राफिकल है, जिससे फाइल मैनेजमेंट, इंटरनेट ब्राउज़िंग, ऑफिस वर्क और सोशल मीडिया आसानी से किए जा सकते हैं। Windows पर लगभग सभी एप्लिकेशन और गेम्स सपोर्टेड हैं। Beginners के लिए सेटअप और यूज़ करना आसान है। इसके अलावा, माइक्रोसॉफ्ट की हेल्प और ट्यूटोरियल्स की वजह से किसी भी समस्या में समाधान आसानी से मिल जाता है।
2. Developers और प्रोग्रामर्स
अगर आप प्रोग्रामिंग, डेवलपमेंट या टेक्निकल प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं, तो Linux बेस्ट है। Linux ओपन-सोर्स होने के कारण आप इसे अपनी जरूरत के हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं। इसमें कमांड-लाइन टूल्स, डेवलपमेंट लाइब्रेरीज़ और सर्वर मैनेजमेंट का बेहतर सपोर्ट मिलता है। Python, Java, PHP और अन्य प्रोग्रामिंग लैंग्वेज़ Linux पर आसानी से रन होती हैं। यह सिक्योर और स्टेबल प्लेटफॉर्म है, जिससे डेवलपर्स बिना किसी डिस्टर्बेंस के काम कर सकते हैं।
3. Gamers
Gaming के लिए Windows सबसे बेहतर है। इसमें DirectX सपोर्ट, GPU कम्पैटिबिलिटी और हाई-एंड गेम्स के लिए ऑप्टिमाइजेशन मिलता है। Windows पर AAA गेम्स, स्ट्रीमिंग एप्लिकेशन और गेमिंग एक्सेसरीज सपोर्टेड हैं। Linux पर गेमिंग की संख्या सीमित है, और कई बार गेम इंस्टॉल करना और चलाना मुश्किल होता है। इसलिए अगर आपका मुख्य उद्देश्य गेमिंग है तो Windows आपके लिए सबसे उपयुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम है।
4. बिज़नेस और सर्वर यूज़र्स
बिज़नेस और सर्वर यूज़र्स के लिए दोनों OS के अलग रोल हैं। Desktop ऑफिस वर्क और ऑफिस टूल्स के लिए Windows आसान और प्रचलित है। वहीं, सर्वर मैनेजमेंट, नेटवर्किंग और सिक्योरिटी प्रोजेक्ट्स के लिए Linux बेहतर विकल्प है। Linux में कम रिसोर्स में बेहतर परफॉर्मेंस और ज्यादा सिक्योरिटी मिलती है। इसलिए, बिज़नेस यूज़र को अपने यूज़ केस के अनुसार OS चुनना चाहिए।
Windows के फायदे (Advantages)
1. यूज़र-फ्रेंडली (User-Friendly)
Windows का सबसे बड़ा फायदा इसका इंटरफेस है। इसका ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (GUI) इतना आसान और सरल है कि किसी भी Beginner को इसे सीखने में मुश्किल नहीं होती। आइकॉन, मेनू और विंडो सिस्टम यूज़र को कंप्यूटर चलाने में सहजता प्रदान करते हैं। Office, ब्राउज़र, मीडिया प्लेयर या गेम्स – हर एप्लिकेशन को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा, Windows पर सेटिंग्स, ड्राइवर्स और फाइल मैनेजमेंट भी आसान हैं। इसका मतलब यह है कि टेक्निकल नॉलेज की बहुत कम जरूरत होती है। यही कारण है कि Windows घर, ऑफिस और स्कूल दोनों जगह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।
2. सॉफ्टवेयर और गेम सपोर्ट
Windows का दूसरा बड़ा फायदा है इसका सॉफ्टवेयर सपोर्ट। लगभग हर प्रकार का सॉफ्टवेयर Windows पर उपलब्ध है – चाहे वह ऑफिस टूल्स हों, ग्राफिक डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर हों या हाई-एंड गेम्स। गेमिंग की दुनिया में Windows का दबदबा है क्योंकि DirectX और GPU सपोर्ट के कारण गेम्स स्मूद और बिना किसी समस्या के चलते हैं। यूज़र्स को कोई कंपैटिबिलिटी समस्या नहीं होती। इसके अलावा, Windows पर नए सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन जल्दी रिलीज़ होते हैं, जिससे यूज़र्स हमेशा अपडेटेड रहते हैं।
3. ऑफिस और बिज़नेस के लिए बेस्ट
Windows ऑफिस और बिज़नेस के लिए सबसे अच्छा OS माना जाता है। Microsoft Office Suite, Outlook, Teams और कई अन्य बिज़नेस टूल्स Windows पर पूरी तरह सपोर्टेड हैं। कॉर्पोरेट सेक्टर में Windows की प्रचलनता बहुत ज्यादा है। फाइल शेयरिंग, प्रिंटिंग, डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट और प्रेजेंटेशन – हर कार्य Windows पर सहज और प्रोफेशनल तरीके से किया जा सकता है। यही कारण है कि कंपनियां और ऑफिस Windows OS को प्राथमिकता देते हैं।
4. हेल्प और कम्युनिटी सपोर्ट
Windows के यूज़र बेस की वजह से ऑनलाइन हेल्प और कम्युनिटी सपोर्ट बहुत मजबूत है। किसी भी समस्या, जैसे ड्राइवर इश्यू, सॉफ्टवेयर इंस्टॉल या सिस्टम स्लो होना – इन सभी समस्याओं के लिए इंटरनेट पर विस्तृत गाइड और फोरम मौजूद हैं। Microsoft की ऑफिशियल हेल्प साइट भी बहुत यूज़फुल है। यूज़र आसानी से वीडियो ट्यूटोरियल, ब्लॉग और फोरम के जरिए अपने समाधान खोज सकते हैं।
Windows के नुकसान (Disadvantages)
1. महंगा (Costly)
Windows का सबसे बड़ा नुकसान इसकी कीमत है। Windows एक पेड ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसके लिए लाइसेंस खरीदना पड़ता है। खासकर Windows Professional या Enterprise वर्ज़न काफी महंगे होते हैं। इसके अलावा, ऑफिस सुइट और प्रीमियम सॉफ्टवेयर भी खरीदने पड़ते हैं। होम यूज़र और स्टूडेंट्स के लिए यह आर्थिक रूप से भारी पड़ सकता है।
2. वायरस और Malware का खतरा
Windows सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला OS है, इसलिए यह हैकर्स और वायरस के लिए सबसे बड़ा टारगेट बन गया है। वायरस, रैनसमवेयर और अन्य मैलवेयर Windows सिस्टम को स्लो कर सकते हैं, डेटा चोरी कर सकते हैं या सिस्टम को पूरी तरह फ्रीज़ कर सकते हैं। इसलिए Windows यूज़र्स को एंटीवायरस, फायरवॉल और अपडेट्स पर ध्यान रखना जरूरी है।
3. भारी (Heavy)
Windows को चलाने के लिए कंप्यूटर में ज्यादा हार्डवेयर स्पेसिफिकेशन चाहिए। RAM, प्रोसेसर और स्टोरेज की कमियाँ Windows के परफॉर्मेंस को स्लो कर सकती हैं। पुराने या लो-स्पेक्स सिस्टम पर Windows का अनुभव अच्छा नहीं रहता। इसलिए हल्के और पुराने कंप्यूटर में Windows इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है।
4. बार-बार अपडेट्स
Windows समय-समय पर अपडेट्स भेजता रहता है। कई बार ये अपडेट्स बिना यूज़र की मंजूरी के इंस्टॉल हो जाते हैं और सिस्टम को स्लो कर देते हैं। कभी-कभी पुराने सॉफ्टवेयर या ड्राइवर्स अपडेट्स के बाद काम करना बंद कर देते हैं। यूज़र को अपडेट्स मैनेज करना पड़ता है।
5. कस्टमाइजेशन सीमित
Windows में यूज़र द्वारा बदलाव की सुविधा बहुत सीमित है। Themes, UI या सिस्टम लेवल सेटिंग्स को बदलने के लिए विकल्प सीमित होते हैं। Advanced यूज़र के लिए यह एक बड़ा डिसएडवांटेज है क्योंकि वह OS को अपनी जरूरत के अनुसार पूरी तरह कस्टमाइज नहीं कर सकता।
Linux के फायदे (Advantages)
1. फ्री और ओपन-सोर्स (Free & Open-Source)
Linux का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पूरी तरह फ्री और ओपन-सोर्स है। कोई भी यूज़र इसे मुफ्त में डाउनलोड और इंस्टॉल कर सकता है। इसके अलावा, डेवलपर्स और टेक्निकल यूज़र्स इसे अपनी जरूरत के अनुसार मॉडिफाई कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि आप सिस्टम को कस्टमाइज कर सकते हैं, फीचर्स जोड़ या हटा सकते हैं। Open-source होने की वजह से दुनिया भर के प्रोग्रामर्स इसके लिए नए टूल्स, पैच और अपडेट बनाते रहते हैं। यह flexibility Windows में संभव नहीं होती। छोटे बिज़नेस और स्टार्टअप्स Linux को इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि इसे इस्तेमाल करना आर्थिक रूप से भारी नहीं पड़ता।
2. सिक्योरिटी (Security)
Linux को सबसे सिक्योर ऑपरेटिंग सिस्टम माना जाता है। यह हैकिंग और वायरस के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित है। Linux में यूज़र permissions, root access और फाइल सिस्टम कंट्रोल बहुत मजबूत होते हैं। इसका मतलब है कि वायरस या मैलवेयर आसानी से सिस्टम को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। Servers और इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर पर Linux का उपयोग इसीलिए ज्यादा होता है। टेक्निकल यूज़र्स इसे Cyber Security, Networking और Server Management के लिए पसंद करते हैं।
3. स्पीड और परफॉर्मेंस (Speed & Performance)
Linux अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम्स की तुलना में हल्का और तेज़ है। इसे पुराने या लो-स्पेक्स कंप्यूटर पर भी स्मूद चलाया जा सकता है। सिस्टम रिसोर्स का कम इस्तेमाल होने की वजह से Linux पर एप्लिकेशन जल्दी खुलते हैं और कार्य दक्षता बढ़ती है। Developers और प्रोग्रामर्स Linux का उपयोग इसलिए भी करते हैं क्योंकि यह कम बूट टाइम और बेहतर रनटाइम परफॉर्मेंस देता है।
4. कस्टमाइजेशन और कंट्रोल (Customization & Control)
Linux यूज़र को सिस्टम पर पूरा कंट्रोल देता है। यूज़र इंटरफेस, फाइल सिस्टम, सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन और सिक्योरिटी सेटिंग्स – हर चीज़ को कस्टमाइज किया जा सकता है। यह flexibility Windows में संभव नहीं होती। टेक्निकल और एडवांस्ड यूज़र्स Linux के माध्यम से अपने OS को पूरी तरह अपनी जरूरत के अनुसार बदल सकते हैं।
5. सर्वर और डेवलपमेंट फ्रेंडली (Server & Development Friendly)
Linux सर्वर और डेवलपमेंट के लिए सबसे बेस्ट OS है। यह Apache, MySQL, PHP, Python और अन्य सर्वर एप्लिकेशन को बिना किसी दिक्कत के चलाता है। प्रोग्रामर्स और डेवलपर्स इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह प्रोग्रामिंग, वेब होस्टिंग और नेटवर्किंग के लिए सुरक्षित, स्थिर और परफॉर्मेंट प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
Linux के नुकसान (Disadvantages)
1. टेक्निकल सीखने की जरूरत (Steep Learning Curve)
Linux beginners के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए बेसिक कमांड्स, टर्मिनल और सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन की जानकारी होना जरूरी है। यूज़र अगर GUI पर ही निर्भर रहे तो कुछ एडवांस फीचर्स का उपयोग नहीं कर पाएंगे।
2. सॉफ्टवेयर और गेम सपोर्ट सीमित (Limited Software & Game Support)
Linux पर सभी प्रॉपर्टी सॉफ्टवेयर और गेम्स नहीं चलते। Adobe Photoshop, Microsoft Office के कुछ वर्ज़न्स या AAA गेम्स Linux पर उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि ओपन-सोर्स विकल्प हैं, पर ये सभी यूज़र्स के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते।
3. कम कम्युनिटी सपोर्ट (Smaller User Community)
Linux का यूज़र बेस Windows की तुलना में कम है। इसलिए कुछ समस्याओं के समाधान के लिए इंटरनेट पर हेल्प या वीडियो ट्यूटोरियल मिलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि टेक्निकल फोरम और कम्युनिटी मौजूद हैं, Beginner यूज़र के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
4. ड्राइवर्स और हार्डवेयर सपोर्ट (Driver & Hardware Issues)
Linux में सभी हार्डवेयर के लिए ड्राइवर्स उपलब्ध नहीं होते। कुछ प्रिंटर, ग्राफिक कार्ड या अन्य डिवाइस Linux पर ठीक से काम नहीं कर पाते। इसके लिए यूज़र को अतिरिक्त सेटअप या कमांड्स का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।
5. शुरुआती सेटअप मुश्किल (Complex Initial Setup)
Linux को इंस्टॉल करना और सही तरह से कॉन्फ़िगर करना Windows की तुलना में थोड़ा कठिन है। Bootloader, Partition, Permissions आदि सेट करना शुरुआती यूज़र्स के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
Future of Windows and Linux
टेक्नोलॉजी के तेजी से बदलते दौर में Windows और Linux दोनों का भविष्य काफी रोमांचक है।
Windows लगातार अपने इंटरफेस और सिक्योरिटी को आधुनिक बना रहा है। Windows 11 इसका ताज़ा उदाहरण है, जिसमें क्लाउड इंटीग्रेशन, AI सपोर्ट और बेहतर गेमिंग परफॉर्मेंस दी गई है। भविष्य में Windows और भी ज्यादा स्मार्ट होगा, जिसमें Artificial Intelligence (AI), Cloud Services और Cross-Platform Apps का गहरा इंटीग्रेशन देखने को मिलेगा। Windows खासकर कॉर्पोरेट, बिज़नेस और गेमिंग यूज़र्स के लिए और मज़बूत होने वाला है।
वहीं दूसरी ओर Linux का भविष्य भी बेहद उज्ज्वल है। आज Linux दुनिया के ज़्यादातर Servers, Supercomputers और Cloud Platforms पर चल रहा है। Open-Source होने के कारण इसमें निरंतर सुधार होता रहता है। Cybersecurity, IoT (Internet of Things) और Cloud Computing में Linux का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। आने वाले समय में Linux Developers, AI Researchers और Server Management के लिए सबसे भरोसेमंद OS बना रहेगा।
Windows और Linux से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1. Windows और Linux में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
Windows एक पेड और क्लोज़्ड-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, जबकि Linux फ्री और ओपन-सोर्स है।
Q2. क्या Linux को Beginners भी इस्तेमाल कर सकते हैं?
हाँ, आजकल Ubuntu और Mint जैसे Linux डिस्ट्रो Beginners के लिए आसान और यूज़र-फ्रेंडली बनाए गए हैं।
Q3. क्या Linux पर गेम्स खेले जा सकते हैं?
Linux पर गेमिंग सीमित है। कुछ गेम्स Steam या Proton की मदद से चलते हैं, लेकिन Windows गेमिंग के लिए बेहतर है।
Q4. कौन सा सिस्टम ज्यादा सिक्योर है – Windows या Linux?
Linux सिक्योरिटी के मामले में Windows से आगे है क्योंकि यह वायरस और Malware का शिकार कम होता है।
Q5. क्या Windows की जगह Linux इस्तेमाल किया जा सकता है?
हाँ, लेकिन अगर आपका काम ज्यादा सॉफ्टवेयर और गेमिंग से जुड़ा है तो Windows बेहतर है। डेवलपमेंट, सर्वर और सिक्योरिटी प्रोजेक्ट्स के लिए Linux सही विकल्प है।
Q6. Windows और Linux में से कौन सा ज्यादा फास्ट है?
Linux हल्का और तेज़ है, खासकर लो-स्पेक्स कंप्यूटर और सर्वर पर। Windows हाई-परफॉर्मेंस मशीन पर बेहतर चलता है।
Q7. क्या Windows और Linux दोनों को एक साथ चला सकते हैं?
हाँ, आप Dual Boot System बनाकर दोनों OS एक ही कंप्यूटर पर इंस्टॉल और इस्तेमाल कर सकते हैं।